होम लोन लेने में दिखानी चाहिए होशियारी
होम लोन क्या है :-
आज के समय में महंगे
होते रियल स्टेट मार्किट में अपना मकान बनाने के लिए आज होम लोन बहुत ज्यादा अनिवार्य
सा हो गया है ! आज के समय में रियल स्टेट मार्किट से जुड़ी की ज्यादातर बड़ी-बड़ी डील्स लोन पर ही आधारित होती है !
मासिक किश्तों में
तय ब्याज राशि को लोन की मूल राशि के साथ वापस किये जाने की शर्तों पर बैंकों द्वारा
मकान खरीदने के लिए दिया जाने वाला लोन ही होम लोन कहलाता है ! किसी भी व्यक्ति को
अधिकतम कितना लोन दिया जा सकता है इसका निर्धारण बैंकों द्वारा व्यक्ति के सेलरी,प्रोपर्टी
आदि के आधार पर किया जाता है ! इन मानकों में आपकी कुल इनकम,सेलरी,खर्च आदि का वेरिफिकेशन
भी किया जाता है !
क्या है ईएमआई :-
ईएमआई का मतलब होता
है मासिक क़िस्त “ईक्वेटेड मंथली इंस्टालमेंट” यानी वह धन राशि जो क्लाइंट द्वारा लिए गए लोन
के भुगतान करने के लिए प्रत्येक महीने बैंक
को तय की गयी किश्तों में ब्याज के साथ लोटाता है ! ईएमआई के रूप में किया जाने वाला
री–पेमेंट
मूलतया दो भागों में होता है,प्रिंसिपल एमाउंट और इंट्रेस्ट एमाउंट ! प्रिंसिपल एमाउंट
वह मूल धन राशि होती है जो आप बैंक से लोन के रूप में ली गयी हो, जबकि इंट्रेस्ट एमाउंट
आपके कुल लोन धन राशि पर लगाने वाला ब्याज होता है ! लोन लेने वाले व्यक्ति के लिए
अगर सबसे ज्यादा किसी चीज़ को समझने की जरुरत होती है तो वो है ईएमआई ! अक्सर लोन लेकर
अपना सपना साकार करने के उत्साह में लोग ईएमआई
प्लान्स को ठीक से ना समझने की चूक कर जाते
हैं जिसका भुगतान उन्हें अपनी मेहनत
की कमाई से करना ही पड़ता है ! लोन दिये जाने के समय बैंकों द्वारा अलग–अलग
तरह की ईएमआई स्कीम्स आपको समझाई जाती हैं जिनमे आपको अपनी सुविधानुसार कोई एक मंथली
स्कीम चुनना बहुत ज़रूरी होता है ! ईएमआई को लेकर अगर आप गंभीर नहीं हैं तो जरूर याद
रखिये आपको भारी–भरकम नुकसान भी उठाना पड़ सकता है !
ईएमआई प्लान का चयन करने में कहाँ करते है लोग चूक :-
इस बात का खास ख्याल
रखिये कि होम लोन या अन्ये लोन की डील करते समय आप मार्किट के प्लेटफोर्म पर खड़े होते
हैं अत: आपको बाजार की लाभ वाली सोच के साथ
डील करनी चाहिए ! अक्सर ऐसा होता है कि ईएमआई प्लान का चयन करते समय आप दूरगामी फायदे
की बात नहीं सोचते और ईएमआई एडवाइजर की बातों को ही सही मान बैठते हैं ! लोन पर जारी
एक एक्सपर्ट सर्वे में यह बताया गया है कि ज्यादातर लोग “शोर्ट ईएमआई या लॉन्ग ड्यूरेशन”
का प्लान इसलिए चुन लेते हैं क्योंकि
उनको यह लगता है कि हर महीने कम पैसा देना पड़ेगा | बाजार और मुनाफे के नजरिये से यह
बेहद घाटे की डील कही जा सकती है | तुरंत में दिखने वाली आसान किश्तों के नाम पर लोगों
द्वारा “शोर्ट ईएमआई लॉन्ग ड्यूरेशन” का प्लान चुन लेने का सीधा असर उनके कुल ब्याज पर पड़ता है और उन्हें
बहुत ज्यादा धन ब्याज के तौर पर देना पड जाता है
!
ईएमआई प्लानिंग पर एक्सपर्ट की राय क्या है :-
एम्स्टर्डन में एंटी
मनी लाऊंडरिंग कंसल्टेंट के रूप में कई सालों
से काम कर रहे, उनका कहना है कि लोन लेते वक्त सबसे पहले लोगों को अपनी जेब का दायरा
समझने की जरुरत होती है ! एक अच्छी मासिक क़िस्त (ईएमआई) प्लानिंग ये है कि सबसे पहले हम अपने बजट के हिसाब से “मैक्सिमम ईएमआई मिनिमम ड्यूरेशन” तय करनी चाहिए | जितनी अधिक धन राशि का ईएमआई
हम ले पायेंगे हमारे लोन का समय अवधि काल उतना ही कम होगा और इससे कुल ब्याज में भारी
कमी आयेगी जिससे हम ब्याज राशि में बहुत बचत कर सकते हैं | जबकि दुसरी तरफ अगर आप लंबे
समय अवधि वाले ईएमआई प्लान चुनते हैं तो आपको प्रति महीने प्रिंसिपल एमाउंट कम और इंट्रेस्ट
एमाउंट ज्यादा देना होगा ! लॉन्ग ड्यूरेशन
वाले ईएमआई प्लान का सबसे बड़ा नुकसान ये है कि महीने दर महीने प्रिंसपल एमाउंट में
बढोत्तरी बहुत धीमी गति से होती है जिससे आपके ब्याज प्रभावी कमी नहीं होती ! हमारी
पहली कोशिश अधिक से अधिक प्रिंसपल एमाउंट को अधिकतम चुकाने की होनी चाहिए ! हम जितना
अधिक प्रिंसपल एमाउंट जमा करेंगे हमारा इंट्रेस्ट एमाउंट उतना ही कम होता जाएगा |
इंट्रेस्ट के जाल को ऐसे समझे :-
प्राय: बहुत से बैंक
कुछ इस प्रकार की ईएमआई स्कीम तय करते हैं जिसके तहत ज्यादातर इंट्रेस्ट एमाउंट रिकवर
करने को पहली वरीयता दी जाती है उसके बाद दूसरी वरीयता में मूलधन रिकवर किया जाता है
| मान लीजिए अगर आपने किसी बैंक से 20 साल के लिए 11 % ब्याज पर पर 20 लाख रुपये का लोन लिया ! इसे लॉन्ग
ड्यूरेशन शोर्ट ईएमआई प्लान कहा जाएगा ! इस ईएमआई स्कीम के दुवारा आपको हर महीने लगभग
20644 रुपये देने होंगे | अगर आप इस एमाउंट पर गौर करें तो आपने बेशक 20644 रुपये बैंक को दिये मगर इस एमाउंट में से 18,333 रुपये
ब्याज के तौर पर बैंक में जमा हुए जबकि आपके प्रिंसपल एमाउंट के तौर पर मात्र 2310
रुपये जमा हुए | इसका मतलब आपके कुल 20 लाख की लोन राशि में से मात्र 2310 रुपये कम
हुए और अगले महीने आपको 19 लाख 97 हजार 9 सौ दस रुपये पर इंट्रेस्ट देना होगा | इस
स्कीम से एक बात तो साफ़ समझ में आ जाती है कि अगर प्रिंसिपल कम जमा होगा तो इंट्रेस्ट
ज्यादा देना पड़ेगा ! इसीलिए, हमें ब्याज के रूप में इससे भी बड़ी धनराशि बैंक को देनी
होगी ! अगर हम लोन का ड्यूरेशन कम करके इसे 15 साल का कर लें तो हमारा ईएमआई
22,732 रुपये होगा लेकिन इस स्कीम में हमारा प्रिंसिपल एमाउंट 2310 रुपये की बजाय लगभग
उसका दोगुना यानी 4399 रुपये हो जाएगा | चुकि प्रिंसिपल एमाउंट ज्यादा जमा होने का
मतलब है कि कुछ ही समय बाद इंट्रेस्ट एमाउंट धीरे–धीरे कम होता जाएगा जिससे
हमें बैंक को कम इंट्रेस्ट देना पड़ेगा | तुलनात्मक रूप से इन दोनों ईएमआई स्कीम्स को
देखें तो ईएमआई में मात्र 2100 रुपये का फर्क आता है जबकि हमारा प्रिंसिपल एमाउंट दोगुना
हो जाता है ! अत: एक बात तो साफ़ है कि ईएमआई प्लानिंग में अगर थोड़ी समझदारी दिखाई जाय
इंट्रेस्ट के नाम पर बैंकों को जा रहे लाखों रुपयों की बचत की जा सकती है |
सॉफ्टवेयर एप्स भी बहुत मदद करेंगे :-
तकनीक के इस दौर में
ईएमआई प्लानिंग से रिलेटेड सभी सॉफ्टवेयर भी आसानी से मार्किट में उपलब्ध हैं जो आपको
आपके बजट और फायदे का ईएमआई प्लान चुनने में मदद कर सकते हैं | हाल ही में तमाम लोगों
द्वारा इस्तेमाल किया गया एक Google एंड्रोइड अप्लिकेशन ईएमआई एक्सपर्ट(EMI
Expert) इस दिशा में काफी कारगर साबित हुआ ! ऐसे सॉफ्टवेयर्स आपको हर एक स्कीम के फायदे
और नुकसान को सेकेंडों में समझाने में मदद करते हैं ! ईएमआई एक्सपर्ट एप्स को यूज कर
रहीं संगीता जैकुमार कहती हैं कि वो इस एप्स की मदद से अब तक लाखों रुपये सेव कर चुकी हैं जो पहले ब्याज में जा रहा था !
ईएमआई से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु :-
● पहली
वरीयता लोन लिए गए प्रिंसिपल एमाउंट के अधिकतम भुगतान को दें ! ईएमआई में प्रिंसिपल
एमाउंट जितना अधिक होगा अंत में कुल इंट्रेस्ट एमाउंट उतना ही कम होगा !
● बैंकों
द्वारा ईएमआई के रूप में हर महीने जाने वाले किश्त की राशि कम ऑफर किये जाने को लेकर
अत्यधिक आकर्षित ना हों ! ये आपके लिए घाटे की डील साबित होगा !
● अन्य
जगहों पर किये जाने वाले अपने धन के निवेश से मिलने वाले फायदों एवं लॉन्ग ड्यूरेशन
ईएमआई से होने वाले नुकसान के बीच का फर्क जरुर देखें | अगर अन्य जगह पर निवेश से होने
वाला फायदा लॉन्ग ड्यूरेशन ईएमआई के कारण होने वाले नुकसान से कम है तो वहाँ निवेश
करने की बजाय अपना ईएमआई शोर्ट ड्यूरेशन कर लें एवं उस धन को यही इस्तेमाल कर लें
|
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