Regrob की तरफ से
आपको और आपके
परिवार को नव
वर्ष (2017) की हार्दिक
शुभ कामनाये |
हर व्यक्ति खुद के
घर का सपना
देखता है। अपने
सपने को पूरा
करने के लिए
वह मकान बनाता
है या कोई
फ्लैट बुक करता
है। लेकिन जो
लोग घर के
बनने तक का
इंतज़ार नहीं करना
चाहते, वे बने
बनाये घर या
फ्लैट खरीदने से
नहीं हिचकिचाते। जिन
फ्लैटों या घरो
को दूसरी बार
बेचा जाता है
उन्हें रीसेल फ्लैट कहा
जाता है। नए
घरो या फ्लैटों
की तुलना में
रीसेल होने वाले
फ्लैट या घरो
की कीमत कम
होती है। किसी
भी फ्लैट या
घर की कीमत
उस फ्लैट या
घर की उम्र,
इलाके व निर्माण
कंपनी पर निर्भर
करती है। हालांकि
की रीसेल फ्लैट
को खरीदने के
लिए आपके पास
जमा राशि मौजूद
होनी होनी बहुत
जरुरी है। कम
लोन मिलने पर
आपकी जमा पूंजी
आपके काम आएगी।
रीसेल मकान या फ्लैट को खरीदते वक्त इन बातों को ध्यान में रखना बहुत जरुरी है :-चार्ज एवं फीस
किसी भी घर
या फ्लैट खरीदते
वक्त सरकार द्वारा
लगाए गए बहुत
से शुल्कों का
भुगतान करना पड़ता
है। इसमें पंजीकरण
फीस, स्टांप फीस,
हस्तांतरण फीस एवं
उपयोगिता हस्तांतरण शुल्क शामिल
हैं।किसी भी संपत्ति
को खरीदने के
लिए अगर आप
किसी एजेंट की
मदद लेते है
तो इसमें उसकी
भी शुल्क जुड़
जायगा। अतः इन
सारे शुल्कों को
जोड़ने पर आप
संपत्ति की कुल
कीमत का अंदाज़ा
लगा पाएंगे।
मौजूदा लोन अक्सर
लोग किसी कारणवश
अपनी संपत्ति की
राशि बढ़ा देते
हैं। ऐसे स्थिति
में संपत्ति के
सारे दस्तावेज़ बैंक
के पास होते
हैं और कर्ज़े
के पूर्ण भुगतान
के बाद दस्तावेज़
मकान मालिक को
वापस मिलते हैं।
यदि संपत्ति की
राशि बढ़ी हुई
थी तो मकानदार
के पास ऋणभार
प्रमाणपत्र होना चाहिए।
कर्ज़े में डूबे
मकान की खरीददारी
एक घाटे का
सौदा साबित हो
सकती है।
Resale मकान की आयु :-
मकान की मजबूती
उसकी उम्र पर
निर्भर करती है,
मतलब मकान कितना
पुराण है। एक
अच्छे घर या
फ्लैट की उम्र
1-5 साल या अधिकतम
10 साल होनी चाहिए।
बैंक से लोने
लेने की स्थिति
में इस बात
पर ध्यान देना
बहुत जरूरी है
क्योंकि कोई भी
बैंक ज्यादा पुराने
मकानों या फ्लैटो
पर जल्दी लोन
नहीं देती। लोन
पाने के लिए
आपको बैंक की
मिन्नते या बैंक
के चक्कर लगाने
पड़ सकते हैं।
फ्लैट या मकान खरीदने के लिए जरुरी दस्तावेज़ :-
अगर आप कोई
भी घर या
फ्लैट खरीदना चाहते
है तो आपके
पास को खरीदने
से पहले खाता
प्रमाण पत्र, टैक्स रसीद
एवं इमारत का
अपरूवल प्लैन जैसे दस्तावेज़ों
की जांच कर
लेनी चाहिए। सभी
दस्तावेज़ किसी विशेषज्ञ
या वकील द्वारा
सत्यापित किए जाने
चाहिए। कुछ दस्तावेज़ों
की आवश्यकता आपके
शहर पर निर्भर
करती है। उदाहरण
के लिए, खाता
प्रमाण पत्र बेंगलुरू
जैसे शहर में
एक अनिवार्य दस्तावेज़
मन जाता है।
दस्तावेज़ के शीर्षक
की स्पष्ट रूप
से जांच कर
लेनी चाहिए ।
अगर आपको कुछ
ना समझ आये
तो आप वकील
की मदद लें।
संपत्ति का मूल्यांकन करना बहुत जरुरी है :-
संपत्ति के सही
दाम चुकाने के
लिए उसका मूल्यांकन
करें। अतः जल्दबाज़ी
में आप धोख़ा
खा सकते हैं।
बने बनाए घर
में शिफ्ट होने
के दो फायदें
हैं एक आपकी
ईएमआई बचती है
और दूसरा आपका
किराया। यदि आप
फ्लैट बुक करते
हैं तो आपको
फ्लैट के तैयार
होने तक इंतज़ार
करना पड़ता है।
जिसमें करीब 2-3 साल निकला
जाते हैं।
पड़ोसियों से पूछताछ करनी बहुत ही जरुरी है :-
आप जिस इलाके
में मकान या
फ्लैट खरीदने जा
रहे हैं उससे
जुड़ी जानकारी एवम
वहां बिजली, पानी
एवं अन्य जरूरी
सुविधाओं की उपलब्धता
को वहां के
रहने वाले लोगों
से जरूर जाने
|
होम लोन और प्रोपर्टी लोन में क्या अन्तर है :-
बहुत से व्यक्ति
लोन और प्रोपर्टी
लोन का अन्तर
नहीं समझ पाते
हैं और भ्रमित
हो जाते हैं।
कभी-कभी अपनी
सुविधा के अनुसार
इसका महत्व समझे
बिना एक के
स्थान पर दूसरे
की शर्तों को
बता देते हैं,
जबकि दोनों प्रकार
के लोन में
भारी अन्तर है।
होम लोन और प्रोपर्टी लोन का अन्तर समझे :-
इसमें कोर्इ संदेह की
बात नहीं है
कि होम लोन
बने बनाये मकान
के लिए (जैसे-
फ्लैट) लिया जाता
है या उस
पर लिया जाता
है, जो पूरा
मकान बन चुका
है। इससे यह
तात्पर्य है कि
- होम लोन मकान
बनाने के लिए
या बना बनाया
मकान खरीदने के
लिए लिया जाता
है। होम लोन
और प्रोपटी लोन
में प्रमुख अंतर
यह है कि
प्रोपर्टी लोन पर
आय कर में
कोर्इ भी छूट
नहीं होती है,
जबकि होम लोन
पर छूट मिल
जाती है।
उदाहरण के लिए
होम लोन की
प्रिंसिपल राशि का
भुगतान कराने की डेढ़
लाख रुपये तक
की राशि पर
आयकर की छूट
मिल जाती है।
उसी तरह होम
लोन पर लिया
जाने वाला दो
लाख तक के
ब्याज पर आयकर
की छूट होती
है। दूसरी तरफ
प्रॉपर्टी लोन पर
आयकर में छूट
नहीं दी जाती।
हॉं, व्यवसायी आयकर
के अन्य प्रावधानों
के तहत आयकर
की छूट पाने
के लिए क्लेम
भी करते हैं।
प्रोपर्टी लोन किसी
भी परियोजना के
लिया जा सकता
है, जबकि होम
लोन केवल घर
बनाने या बना
बनाया घर खरीदने
के लिए ही
लिया जाता है।
दूसरे शब्दों में आप
अपनी प्रोपटी को
बैंक के पास
गिरवी रख कर
बच्चों की उच्च
शिक्षा, व्यवसाय का विस्तार,
शादी या किसी
आकस्मिक बीमारी के इलाज
के लिए प्रापर्टी
लोन ले सकते
हैं। प्रोपर्टी लोन
का भुगतान व्यक्ति
को किया जाता
जिसके नाम प्रॉपर्टी
होती है, जबकि
होम लोन का
भुगतान बिल्डर या मकान
बेचने वाले किया
जा सकता। दोनो
मामलों में बैंक
जो लोन देता
है, उन सभी
दस्तावेजो की पूरी
जांच करता है,
जिन दस्तावेज़ों के
आधार पर लोन
लिया जाता है।
उधार देने के
पहले ये बैंक
दस्तावेजो के संबंध
में बहुत से
प्रश्न भी पूछते
है।
दोनो केस में
एक समानता यह
भी होती है
कि अगर आप
लोन अदा करने
में असमर्थ होते
है तो बैंक
उस प्रोपर्टी को
बेचने का अधिकार
रखता है, जिस
के आधार पर
लोन दिया गया
है या जिस
प्रॉपर्टी को गिरवी
रख कर लोन
दिया गया है।
होम लोन के
लिए ज्यादा दस्तावेज
देने पड़ते हैं।
ऐसी प्रकार दोनों
की ब्याज दरों
में भी अन्तर
होता है। होम
लोन पर ब्याज
दर कम होती
है, जबकि प्रोपर्टी
लोन पर ब्याज
दर आधिक होती
है। बाजार में
प्रतिस्पर्धी लोन देने
वाले निकायों की
उपलब्धता है।
निष्कर्षत :-
होम लोन
ग्रह के निमार्ण
के लिए लिया
जाता है। दूसरी
ओर प्रोपर्टी लोन
उस संपत्ति पर
लिया जाता है,
जो पहले ही
बनी हुर्इ हो।
बहुत कम व्यक्ति
ही प्रोपर्टी पर
लोन लेते हैं,
क्योंकि वे नहीं
चाहते हैं कि
वे अपनी बानी
बनाई प्रोपर्टी को
किन्ही कारणों से बिक
जाय। इसीलिए जरुरत
पड़ने पर अक्सर
लोग प्रोपर्टी को
गिरवी रखने के
बजाय गोल्ड लोन
या पर्सनल लोन
लेने का विकल्प
चुनते है।
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