Tuesday, 21 March 2017

कैसे पाएं होम लोन की धन राशि पर टैक्स में छूट



आपका होम लोन एक बोझ के जैसा महसूस हो सकता है, क्योंकि इस पर लगने वाला ब्याज का बोझ कर्ज लेने वाले की खासी कमाई खा जाता है आपके टैक्स का बोझ कम करने के लिए सरकार समय समय पर टैक्स में छूट देती रहती है जिससे ग्राहक को अपना लोन चुकाने में बहुत राहत मिलती है। टैक्स में छूट पाने की वजह से घर खरीद कर न सिर्फ आप एक मकान मालिक बन सकते हैं, बल्कि आपका बहुत धन भी बच जाता है। सरकार द्वारा होम लोन लेने वालों को टैक्स पर छूट देने का मूल उद्देश्य लोगों को अपनी संपत्ति खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना है। जिससे वे अपने परिवार के साथ सुखमये जीवन व्यतीत कर सके

होम लोन, टैक्स बचाने और लंबे समय तक इस में राहत पाने का सब से अच्छा तरीका है। इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 के अनुसार कहता है कि लोन को टैक्स बचाने के इंस्ट्रूमैंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। कोई प्रौपर्टी खरीदने के लिए होम लोन लेने के बाद व्यक्ति अपने टैक्स में छूट के लिए आवेदन कर सकता है। यह छूट न सिर्फ मूल राशि पर, बल्कि होम लोन पर लगने वाले ब्याज दर पर भी लागू होती है

होम लोन पर इनकम टैक्स में छूट इनकम टैक्स ऐक्ट के सैक्शन 24, 80 सी और 80 ईई के तहत मिलती है। यह लाभ सिर्फ किसी विशेष व्यक्ति और एचयूएफ यानी हिंदू अनडिवाइडैड फैमिलीज को मिल सकती है। टैक्स में यह छूट सिर्फ होम लोन पर ही मिलती है, अन्य तरह के लोन जैसे कि लोन अगेंस्ट प्रौपर्टी यानी एलएपी आदि पर नहीं मिलती 


होम लोन से टैक्स में मिलने वाली छूट:-


टैक्स पर छूट होम लोन के 2 हिस्सों पर उपलब्ध है--मूल धन राशि और ब्याज दर मूल धन राशि पर लाभ जहां सैक्शन 80 सी के तहत पाया जा सकता है वहीं टैक्स में छूट के लाभ के लिए सैक्शन 24 के तहत भी आवेदन किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने सैक्शन 80 ईई को 2013-14 के बजट में पेश किया था, जिसके तहत ब्याज दर के भुगतान पर कुछ शर्तों के साथ टैक्स में छूट मिलती है। जिन लोगों ने वित्त वर्ष 2013-14 में पहली बार होम लोन लिया था वे ब्याज की अदायगी पर सैक्शन 24 के तहत 1 लाख रुपए की अतिरिक्त छूट पाने के हकदार हो गए।अनयूटिलाइज्ड ब्याज दर के लिए वर्ष 2014-15 के लिए भी छूट उपलबध कराई गयी है। टैक्स पर अतिरिक्त छूट मिलने का मतलब यह है कि आप अपना ज्यादा पैसा बचा सकते हैं। लेकिन सरकार ने इस छूट को आगे के वर्षों के लिए नहीं बढ़ाया क्योंकि इस के बारे में सैक्शन 80 ईई में वर्णित नहीं किया गया है। वित्त वर्ष 2015-16 के लिए यह लाभ सिर्फ सैक्शन 80 सी और सैक्शन 24 के तहत ही उपलब्ध किया गया है


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मूल धन राशि की अदायगी पर छूट:-

होम लोन लेने वाला व्यक्ति मूल राशि का जो हिस्सा हर महीने अदा कर सकता है उस के आधार पर इनकम टैक्स में छूट वह इनकम टैक्स ऐक्ट के सैक्शन 80 सी के तहत ले सकता है। इस सैक्शन के तहत कोई भी व्यक्ति अधिकतम डेढ़ लाख रुपए तक की राशि पर टैक्स में छूट पा सकता है। डेढ़ लाख रुपए की छूट की यह सीमा आप के पीपीएफ, टैक्स सेविंग एफडी, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड, नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट और अन्य सभी को मिला कर मिलने वाली छूट होती है

इस सैक्शन के तहत छूट तब तक लागू नहीं होती है जब तक प्रौपर्टी निर्माणाधीन हो। यह लाभ प्रौपर्टी का कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिलने के बाद ही मिलता है। सब से महत्त्वपूर्ण बात यह जानना है कि एक टैक्सपेयर उन सालों के दौरान की गई ब्याज अदायगी का संयोजन कर के 5 बराबर किस्तों में छूट की मांग कर सकता है और इस की शुरुआत निर्माण कार्य पूरा होने वाले वर्ष से की जा सकती है। लेकिन अगर प्रौपर्टी का मालिक पजेशन लेने के 5 साल के भीतर प्रौपर्टी बेच देता है तो छूट नहीं मिलती।अगर प्रौपर्टी का मालिक इस पीरियड में टैक्स पर छूट लेता है तो इस छूट को आमदनी का हिस्सा माना जाएगा और टैक्स देना होगा। यह छूट पेमैंट के आधार पर भी उपलब्ध होती है, न कि उन सालों पर जब यह भुगतान किया गया

संयुक्त रूप से होम लोन टैक्स में छूट :-


सैक्शन 80 सी प्रौपर्टी की खरीदारी के समय लगी स्टैंप ड्यूटी और रजिस्टे्रशन चार्ज पर भी टैक्स में छूट देता है। सैक्शन 80 सी के तहत कोई भी व्यक्ति अधिकतम डेढ़ लाख रुपए तक की छूट पा सकता है, जोकि पीपीएफ, टैक्स सेविंग एफडी, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड, नैशनल सेविंग सर्टिफि केट व अन्य सभी को मिला कर संयुक्त रूप से मिलती है। यह छूट उस साल के दौरान ली जा सकती है जिस में इस की अदायगी की गई हो




ब्याज दर की अदायगी पर होम लोन टैक्स में छूट :-


प्रौपर्टी खरीदने पर यह लाभ सिर्फ उसी स्थिति में लिया जा सकता है जब प्रौपर्टी का निर्माण पूरा हो चुका हो और इस का पजेशन सर्टिफिकेट मिल चुका हो। प्रौपर्टी की खरीद के अलावा, टैक्स पर छूट रिहायशी प्रौपर्टी के निर्माण, मरम्मत, नवीनीकरण और पुनर्निर्माण आदि के वास्ते लिए गए लोन पर मिल सकती है। हाउस प्रौपर्टी से होने वाली आमदनी को होम लोन पर लगने वाले ब्याज के साथ ऐडजस्ट किया जा सकता है

जिस प्रॉपर्टी पर आपका कब्ज़ा है उस प्रॉपर्टी पर छूट पाने की अधिकतम धन राशि 2 लाख रुपए होती है। इस के अलावा, अगर प्रौपर्टी लोन मंजूर होने की तारीख से ले कर 3 वर्षों के भीतर कंप्लीट नहीं होता है तो ब्याज दर पर मिलने वाली छूट की सीमा 2 लाख रुपए से घट कर 30 हजार रुपए हो जाती है। अगर संपत्ति पर अपना कब्जा नहीं है तो टैक्स में छूट की कोई सीमा नहीं होती है, ब्याज दर की कुल राशि पर टैक्स में छूट के लिए आवेदन किया जा सकता है। इस का एक अन्य पहलू यह भी है- अगर प्रौपर्टी का मालिक अपने घर में न रह कर नौकरी या व्यापार अथवा अन्य किसी जिम्मेदारी की वजह से किसी अन्य जगह पर रहता है तो वह 2 लाख रुपए तक की छूट हासिल कर सकता है। सैक्शन 80 सी के तहत पेमैंट की अदायगी के आधार पर मिलने वाली छूट के विपरीत इस सैक्शन के तहत मिलने वाली छूट संग्रहण आधारित होती है। ऐसे में छूट वार्षिक आधार पर ली जा सकती है। ऐसा उस स्थिति में भी लागू होता है जब उस वर्ष के दौरान कोई अदायगी न की गई हो

होम लोन का कायदा और फायदा:-


होम लोन रिटेल बैंकिंग का सब से ज्यादा बिकने वाला उत्पाद है

जौइंट होम लोन लेने से लोन राशि बढ़ती है, वहीं दूसरी तरफ टैक्स बचत में भी बहुत फायदा मिलता है

सिंगल होम लोन में केवल होम लोन लेने वाले को ही टैक्स का फायदा मिलता है

इंट होम लोन में लोन में भागीदारी करने वाले का भी टैक्स बचता है

बैंक लोन देते वक्त दोनों आवेदकों की इनकम को ध्यान में रख कर लोन देता है

इनकम टैक्स ऐक्ट 24 (बी) के तहत होम लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपए तक की छूट का क्लेम कर सकते हैं

इनकम टैक्स ऐक्ट 80 सी के तहत प्रिंसिपल अमाउंट पर 1.5 लाख रुपए तक का क्लेम किया जा सकता है

किसी संस्था या संगठन के नाम होम लोन नहीं दिया जाता है





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अथवा मेल करे –info@regrob.com

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