Saturday, 11 March 2017

घर या कोई प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जाने होम लोन के फायदे और कायदे



आज के दोर में भारत वर्ष में अफोर्डेबल हाउसिंग की जरूरत दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। हर किसी का सपना होता है कि आपका भी अपना आशियाना हो और उसमें अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत करें। आपके इस सपने को पूरा करने में बैंक आपका सबसे बड़ा साथी होता है जो आपकी घर की जरुरत को पूरा करता है। घर खरीदने के सपने के लिए बैंक हमेसा आपके साथ होता है जो लोन के रूप में आपकी आर्थिक सहायता करता है।

यदि आप किसी भी तरह की कमर्शियल या रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीद रहें हैं तो आपको होम लोन से जुड़े फायदे और कायदे के बारे में भी पूरी जानकारी होना बहुत जरुरी है। होम लोन के फायदे जानकर आप अपने सपनों का घर आसानी से खरीद सकते हैं इसके साथ-साथ आपको सब्सिडी और कम ईएमआई जैसे ऑफर्स भी मिलते है।

होम लोन:- 

आपको बात दें कि लोन की ईएमआई के दो भाग होते हैं- मूलधन (प्रिंसिपल) और ब्याज (इंटरेस्ट)। आप लोन के प्रिंसिपल रिपेमेंट और ब्याज के भुगतान पर टैक्स डिडक्शन की मांग कर सकते हैं। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के धारा 80 सी के तहत प्रिंसिपल रिपेमेंट पर और धारा 24 बी के तहत ब्याज रिपेमेंट राशि पर टैक्स कटौती क्लेम भी कर सकते हैं। यदि आपने होम लोन घर खरीदने के उदेश्य से लिया है तो ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा घर के पजेशन मिलने पर निर्भर करती है। अगर लोन सेल्फ-ऑक्यूपाइड हाउस के लिए लिया है तो इसके लिए दो लाख रुपए तक की लिमिट तय है। घर किराए पर देने की स्थिति में ब्याज पर टैक्स कटौती क्लेम के लिए कोई लिमिट नहीं है। एक बात का ध्यान रखें कि टैक्स बेनेफिट प्रॉपर्टी के पूरे होने पर ही क्लेम किया जा सकता है। निर्माणाधीन प्रॉपर्टी या अंडर डेवेलप्मेंट प्रॉपर्टी खरीदने पर तब तक डिडक्शन की मांग नहीं की जा सकती जब तक की प्रॉपर्टी पूर्ण रूप से निर्मित नहीं होती और आपको उसका पजेशन नहीं मिलता।


किन किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए:-


होम लोन की किसी भी ईएमआई देने से चूकने पर भुगतान किए गए ब्याज पर टैक्स बेनेफिट्स क्लेम किया जा सकता है। किसी भी वित्तीय वर्ष में यदि आप कुछ ईएमआई भरने से चूक जाते हैं तो पूरे साल के लिए उस ईएमआई पर भुगतान किए गए ब्याज पर टैक्स में छूट पा सकते हैं।

1. आपको बता दें कि अधिकांश टैक्सपेयर्स को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि लोन से संबंधित चार्जेस भी टैक्स छूट के दायरे में आते हैं। कानून के तहत इन चार्जेस को ब्याज की तरह माना जाता है, जिस वजह से इस पर छूट का दावा किया जा सकता है।

2. यदि 5 वर्ष से पहले घर बेच दिया जाता हैं तो मूलधन पर टैक्स बेनेफिट्स की पॉलिसी उलट जाती है। होम लोन लेकर घर खरीदना, निर्माण करना या फिर 5 वर्ष से पूर्व घर बेच देते हैं तो सभी बेनेफिट्स खत्म हो जाते हैं।

3. अगर घर निर्माण करने या फिर खरीदने के लिए बैंक के अलावा अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से लोन लिया है तो लोन पर ब्याज अदायगी के समय धारा 24 के तहत टैक्स छूट की मांग की जा सकती है।

4. प्रॉपर्टी का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर होम लोन बेनेफिट्स पर क्लेम किया जा सकता है। अगर निर्माण के वक्त या पजेशन पाने से पहले ईएमआई भरी हैं तो प्रिंसिपल रिपेमेंट पर क्लेम नहीं कर सकते, लेकिन इस दौरान भुगतान किए गए ब्याज पर क्लेम कर सकते हैं और यह आगे एडजस्ट हो सकता है।

5. अगर आप को-बॉरोअर हैं तो आप टैक्स में छूट हासिल नहीं कर सकते। यदि घर आपके माता-पिता ने खरीदा है और होम लोन की ईएमआई आप भरते हैं तो भी आप टैक्स में छूट के हकदार नहीं हैं। अगर आप अपनी पत्नी के साथ घर खरीदते हैं, मगर आपका नाम लोन बुक में को-बॉरोअर के तौर पर स्पष्ट नहीं किया गया है, तो आप टैक्स में छूट क्लेम नहीं कर सकते हैं।


आपको अच्छा फाइनेंसर चुनना चाहिए:-



यदि आप घर या किसी भी प्रकार की कोई प्रॉपर्टी लेने की सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले एक अच्छा फाइनेंसर का चुनाव करना चाहिए। जो आपके होम लोन की कम ब्याज दर और कम ईएमआई पर डील करा सके। आपको उसके साथ लगातार अपना कांटेक्ट रखना होगा और उस कंपनी की कस्टमर पॉलिसी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करनी होगी। टर्म और कंडीशन की जानकारी के लिए आप अपने बैंक के फाइनेंसर और जो लोग लोन ले चुके हैं उनसे संपर्क करके एकत्रित कर सकते हैं। कंपनी का पुराना रिकॉर्ड भी चेक करना चाहिए कि उसने ब्याज दरों में कमी का कितना फायदा अपने ग्राहकों को दिया है और कही वह कंपनी ब्याज दरें सबसे पहले बढ़ाने वालों में से तो नहीं है।

ज्यादा से ज्यादा डाउन पेमेंट करना चाहिए:-


आप जब भी होम लोन लेने की सोच रहें हैं तो आपके पास डाउन पेमेंट करने के लिए कुछ रकम होनी चाहिए। आप जितना ज्यादा डाउन पेमेंट करेंगे आपको उतने ही कम होम लोन की जरुरत होगी। कम रकम का होम लोन लेने के बहुत फायदे है जैसे कि कम लोन लेने से आपको ईएमआई भी कम देनी पड़ेगी जिससे आपके लोन की किस्त भी जल्दी ख़त्म हो जाएगी और पैसों की भी बचत होगी।


अच्छी स्कीम का चुनाव करें:-


फ्लोटिंग ब्याज दर के मुकाबले में फिक्सड ब्याज दर का लोन ज्यादा मेहगा पड़ता है। लेकिन फ्लोटिंग ब्याज दर के मामले में ब्याज दरों का पूर्वानुमान नहीं लगा सकते। इसके लिए हाइब्रिड लोन दोनों के बीच एक कड़ी का काम करती है। इसमें लोन की कुछ रकम फिक्स्ड और कुछ फ्लोटिंग रेट से दी जाती है।

 
होम लोन की पेमेंट ड्यूरेशन (समय) बढ़ने का फायदा:-


यदि आपकी उम्र कम है और आप अच्छी जॉब कर रहें हैं तो आपको लोन चुकाने के लिए ज्यादा समय मिल जाता है। आपको प्री-पेमेंट और ज्यादा ईएमआई देने की जरुरत नहीं होती है। बैंक आपके व्यवहार और लेन-देन को ध्यान में रखते हुए लोन चुकाने की अवधि बढ़ा देते हैं इससे आप पर होम लोन चुकाने का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता।

 होम लोन का प्री-पेमेंट करना अच्छा विकल्प:-


कभी-कभी आपका पैसा कुछ कारणों से कहीं अटक जाता है या कुछ दिनों बाद मिलने वाला होता है जिसका आप घर खरीदने तक इन्तजार नहीं कर सकते। यदि आपको लोन लेने के दो-तीन माह बाद कोई बड़ी रकम मिलने वाली है तो आप बेझिझक लोन ले सकते हैं। लेकिन इस पैसों को आप अपने लोन के ईएमआई के रूप में चुकाने के बदले प्री-पेमेंट करना सबसे अच्छा विकल्प होगा। कई लोग ज्यादा ईएमआई देने को तैयार हो जाते हैं जिससे उन्हें ब्याज पर इनकम टैक्स में ज्यादा छूट मिले। इस प्रकार का कोई भी फैसला लेने से पहले यह जरूर देखना चाहिए कि इंटरेस्ट पर टैक्स में छूट लेने में ज्यादा बचत होगी या प्री-पेमेंट करने में।

 रि-फाइनैंस के बारे में भी सोचें:-



अगर आपके पास होम लोन फाइनेंस से अच्छा कोई और विकल्प है जो आप पर ब्याज और लोन का कम बोझ डालता है तो आप रिफाइनेंस के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं यह भी अच्छा विकल्प हो सकता है। परन्तु इस प्रक्रिया के लिए आपको फीस के रूप में कुछ पैसे चुकाने पड़ेंगे। आपको अपने मौजूदा फाइनैंसर से क्लोजिंग कोटेशन लेकर दूसरे फाइनैंसर को देनी होगी। क्लोजिंग कोटेशन का मतलब है कि आपका कितना प्रिसिंपल बाकी है और अकाउंट बंद करने के लिए आपको कितनी रकम चुकानी है। आपका रिफाइनैंसर इस रकम का चेक पहले फाइनैंसर को देकर आपका लोन अकाउंट टेकओवर कर लेगा। आपको पहले फाइनैंसर को प्री-पेमेंट पेनाल्टी और दूसरे फाइनैंसर को कुछ प्रोसेसिंग फीस देनी होती है।




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फोन नंबर - +91-9529331331


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