Thursday 19 January 2017

इन करणो से दोबारा फाइनेंस करना पड़ता है आपको अपना होम लोन


एक बार फिर से Regrob आपकी सेवा में हाज़िर है, अगर आपको अपना होम लोन दोबारा फाइनेंस करना है तो आप हमसे यानि Regrob से संपर्क करे, हम आपका फाइनेंस कम से कम ब्याज दर पर करायगे | जिससे आपको बहुत लाभ प्राप्त होगा ओर आप अपना होम लोन आसानी से चुका पायगे | हम आपकी सेवा से हरदम आपके साथ है |



होम लोन दोबारा फाइनेंस करवाने का मतलब है कि मौजूदा लोन का भुगतान करने के लिए दूसरे बैंक या उधारदाताओ से नया लोन लेना है। होम लोन या हाउसिंग लोन (इसे दोबारा फाइनेंस करवाने के रूप में भी जाना जाता है) को बदलने के दो प्राथमिक कारण हैं:-

(1) ब्याज की कम दर का लाभ प्राप्त करना (2) मूल लोन राशि पर टॉप-अप का सही लाभ प्राप्त करना


हालांकि,
        इन दोनों कारणों के अलावा, पुराने लोन का भुगतान करने के लिए नया लोन लेने के ओर भी कई कारण हो सकते हैं। यह औरों के साथ-साथ मौजूदा उधारदाता की सेवा की खराब गुणवत्ता और लोन पोर्टफोलियो का समेकन हो सकता है।


यहाँ हम आपको होम लोन दोबारा से फाइनेंस करवाने के पांच सबसे आम और सम्मोहक कारणों के बारे में बतायगे :-


1. प्रथम कारण ब्याज खर्च पर बचत करना:-


यह नए उधारदाता से होम लोन लेने का सबसे सामान्य कारण है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति किसी और उधारदाता द्वारा प्रदान किए जा रहे होमलोन की तुलना में मौजूदा होम लोन पर अधिक ब्याज का भुगतान कर रहा है, तो
वह स्वाभाविक रूप से नया लोन लेने के लिए प्रलोभित होगा जो उसकी कुल ब्याज खर्च और फलस्वरूप उसकी ईएमआई नीचे लाने वाला हो।
गिरती हुई ब्याज दर के परिदृश्य से भी कई लोग अपना होम लोन फिर से फाइनेंस करवाने के विकल्प का चुनाव करते हैं। यह सर्वविदित है कि ज्यादातर होम लोन फ्लोटिंग दर वाले लोन होते हैं, जिसका मतलब है कि वे समग्र वृहत ब्याज दर की चाल से जुड़े होते हैं। अर्थव्यवस्था में सामान्य ब्याज दरों में गिरावट आने पर सभी उधारदाता अपने लोन पर चार्ज किए जाने वाले ब्याज में कमी नहीं करते हैं। कुछ उधारदाता एक अंतराल के बाद अपनी दरें कम कर देते हैं और कुछ उधारदाता आधार दर में आनेवाली गिरावट के बराबर दरों में कमी नहीं करते हैं।

आम तोर पर यह देखा जाता है कि जब होम लोन की ब्याज दरें ऊपर की ओर जाती हैं, तो सभी ग्राहक लोन दरों का रूझान ऊपर की ओर जाने का होता है। हालांकि, विपरीत स्थिति में सभी लोन दरों के नीचे की ओर आने की संभावना नहीं होती है। यह भी होम लोन फिर से फाइनेंस करवाने को एक आकर्षक विकल्प बना देता है क्योंकि आपका मौजूदा लोन बाजार की प्रचलित ब्याज दरों से समायोजित हो जाता है, जिससे ब्याज खर्च पर आपकी काफी बचत होती है और आपकी मासिक ईएमआई का बोझ कम हो जाता है।"

2. फ्लोटिंग दर वाले लोन से स्थायी लोन या ठीक इसके विपरीत जाना:-


होम लोन ग्राहक इन दो स्थितियों में से किसी एक स्थिति में हो सकते हैं: हो सकता है कि वे अधिक फ्लोटिंग ब्याज दर का भुगतान कर रहें हों और इसलिए स्थायी दर वाले होम लोन की ओर जाने में भलाई देखने वाले हों। इस स्थिति में उनकी ईएमआई समय की एक निश्चित अवधि के लिए स्थिर हो जाएगी। वैकल्पिक रूप से, वे अधिक दर पर स्थायी होम लोन के साथ चिपके रह सकते हैं (स्थायी दर वाले लोन आम तौर पर समय के किसी भी बिंदु पर फ्लोटिंग दर वाले लोन की तुलना में ऊंची दर पर होते हैं)। इस स्थिति में, वे महसूस कर सकते हैं कि समग्र ब्याज दरें नीचे की ओर चली गई हैं और फ्लोटिंग दर वाले लोन उनके मौजूदा लोन की तुलना में काफी सस्ते हैं और लोन बदलने में भलाई है। इन दोनों स्थितियों में कोई भी फिर से फाइनेंस करवाने का विकल्प चुनना पसंद कर सकता है।

चलिए एक ऐसे व्यक्ति का उदाहरण लेते हैं जिसने दो साल पहले प्रतिवर्ष 12.25% की दर पर 50 लाख रुपए का 20 वर्ष के लिए स्थायी दर वाले होम लोन को चुना था और अब लगभग 56,000 रुपए की मासिक ईएमआई का भुगतान कर रहा है। लोन की तुलना करने वाले सर्विस इंजन deal4loans.com के सह-संस्थापक ऋषि मेहरा कहते हैं "दो साल तक ईएमआई का भुगतान करने के बाद, उसकी बकाया लोन राशि 48,67,866 रुपए है। शेष अवधि (18 वर्ष) के लिए, वह दूसरे बैंक की ओर शिफ्ट होने का फैसला करता है जो प्रतिवर्ष 9.75% की दर पर फ्लोटिंग दर वाले होम लोन की  पेशकश कर रहा है। इस तरह वह अपनी ईएमआई 56,000 रुपए से कम करके 48,000 रुपए के करीब पहुंचा देता है और उसकी कुल ब्याज खर्च 84 लाख रुपए से नीचे 67 लाख रुपए तक आ जाती है।"

यह सच है कि उस व्यक्ति को अपना लोन समय से पहले बंद करने और दूसरे उधारदाता से अपना लोन फिर से फाइनेंस करवाने के लिए कुछ खर्च उठाना पड़ सकता है, लेकिन लोन की शेष अवधि के दौरान वह जो बचत करने में सक्षम होगा, उसकी तुलना में इन चार्जों के नगण्य होने की संभावना है।

3. अतिरिक्त लोन का अवसर:-


होम लोन फिर से फाइनेंस करवाने के साथ-साथ ग्राहकों के पास प्रचलित होम लोन की दरों पर इन्क्रीमेंटल फंडिंग लेने का विकल्प होता है। उदाहरण के लिए, मि. ए ने 5 साल पहले 50 लाख रुपए की संपत्ति खरीदने के लिए 40 लाख रूपए का लोन लिया था। 5 साल तक ईएमआई का भुगतान करने के बाद, चलिए मान लेते हैं कि लोन का मूल्य 30 लाख रुपए से नीचे आ गया है, लेकिन संपत्ति का मूल्य अच्छा खासा 1 करोड़ रुपए तक हो गया है।

हम आपको बताते हैं "इसका मतलब यह है कि मि. ए को अब इस संपत्ति पर 80 लाख रुपए तक का होम लोन मिल सकता है, अगर वह ऐसा चाहते हैं। लेकिन लोन के रूप में वह पूरी राशि का लाभ नहीं उठा सकते हैं क्योंकि उनका अभी भी 30 लाख रुपए का लोन बकाया है जिसे नया लोन लेने से पहले उन्हें निपटाना है। इस स्थिति में मि. ए 30 लाख रूपए की बकाया राशि कम ब्याज दर पर स्थानांतरित करने के लिए, अपना लोन फिर से फाइनेंस करवा सकते हैं, साथ ही उसी ब्याज दर से कम या ज्यादा दर पर वे 50 लाख रुपए (80 लाख रुपए माइनस 30 लाख रुपए) की इन्क्रीमेंटल फंडिंग प्राप्त कर सकते हैं"।

हालांकि, आप को दूसरे उधारदाता से केवल तभी अपने लोन के टॉप-अप का चुनाव करना चाहिए अगर आपको कम दरों का लाभ मिल रहा है, नहीं तो इसे अपने मौजूदा उधारदाता से लेने की कोशिश करें क्योंकि यह आसान होगा और आपको लोन फिर से फाइनेंस करवाने के लिए खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। पैसाबाजार के सह-संस्थापक और सीईओ नवीन कुकरेजा कहते हैं, "क्या 'टॉप अप' के विकल्प का फायदा उठाने के लिए आपको अपना हाऊसिंग लोन बदलने के लिए योजना बनानी चाहिए, मैं टॉप-अप प्लान के लिए अपने मौजूदा बैंक से संपर्क करने की सलाह दूंगा, अगर ब्याज की दरें समान हैं। अगर आपका लोन चुकाने का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है और साथ ही संपत्ति का मूल्य भी बढ़ा है, तो काफी संभावना है कि मौजूदा उधारदाता टॉप-अप के लिए आपके अनुरोध पर विचार कर सकता है।"

4. मौजूदा बैंक की घटिया सेवा:-


अगर बैंक जिससे आपने अपना होम लोन लिया है, ठीक से आपकी सेवा नहीं कर रहा है, तो - उदाहरण के लिए, अगर वह समय पर लोन का स्टेटमेंट नहीं जारी करता है, घटिया ग्राहक देखभाल सेवाएं प्रदान करता है या ब्याज दरों में होने वाले परिवर्तन के प्रति प्रतिक्रिया करने में धीमा है, तो फिर अच्छी सेवाएं प्रदान करने के लिए जाने जाने वाले उधारदाता से अपना लोन फिर से फाइनेंस करवाने के लिए आपके पास हर कारण मौजूद है।

5. वित्तिय स्थिति में बदलाव:-


आपकी आमदनी में कोई भी वृद्धि या कमी अपनी ईएमआई भरने की आपकी क्षमता को प्रभावित करती है। किसी कारण से आपकी मासिक आमदनी कम हो जाती है या कोई अन्य वित्तीय दायित्व आ जाता है, तो अपनी ईएमआई की मात्रा कम करने के लिए लंबी अवधि वाले होम लोन से बदलकर होम लोन फिर से फाइनेंस करवाना अच्छा विचार है। BankBazaar.com के संस्थापक और सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं "वहीं दूसरी ओर, अगर आप, जब आपने होम लोन लिया था, उसकी तुलना में बेहतर वित्तीय स्थिति में हैं, तो होम लोन फिर से फाइनेंस करवाने का विकल्प चुनने और लोन की अवधि कम करने के लिए यह अच्छा समय हो सकता है, जिससे आपकी ईएमआई राशि में वृद्धि हो जाएगी, लेकिन निश्चित रूप से अब आप अपना होम लोन जल्दी चुकाने में सक्षम होंगें।"

इस प्रकार, अन्य लाभों के अलावा,आप काफी बचत कर सकते हैं अगर आप अर्थव्यवस्था में समग्र ब्याज दर की गति को ध्यान में रखकर अपना होम लोन फिर फाइनेंस करवाते हैं। हालांकि, यहाँ कुछ एहतियात बरतने की जरूरत है।



वॉच आऊट :-



यहाँ हम आपको  वे बातें बताने जा रहे है कि होम लोन फिर से फाइनेंस करवाने का विकल्प चुनते समय आपको किन किन बातो ध्यान में रखना चाहिए:

# लोन की समय अवधि के दौरान लोन बदलने की जल्द जल्द कोशिश करें। लोन के भुगतान के 5-६ वर्ष बाद लोन न बदलने की सलाह दी जाती है क्योंकि आप पहले ही प्रारंभिक अवधि के दौरान ब्याज की राशि के अधिकांश भाग का भुगतान कर चुके होते हैं।

# प्रोसेसिंग शुल्क, मूल्यांकन शुल्क और अन्य शुल्कों पर स्पष्टता सुनिश्चित करें जो अगर आप नए लोन का विकल्प चुनते हैं, तो उसे लागू कराये।

# इस बात को लेकर सावधान रहें कि नया बैंक/उधारदाता होम लोन के आपके अनुरोध के साथ नए लोन के रूप में व्यवहार करे और इसलिए, आप को फिर से सभी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा। इसमें आपकी संपत्ति की साख, क्रेडिट मूल्यांकन आदि के कानूनी सत्यापन शामिल है |

# सुनिश्चित करें कि आपको अपने मौजूदा उधारदाता से यह कहने वाला स्टेटमेंट मिले कि सभी प्रासंगिक दस्तावेज निर्धारित समय-सीमा के अनुसार नए उधारदाता को स्थानांतरित कर दिए जाएंगे।

# आप हाउसिंग लोन नहीं बदल पाएंगें अगर आप अतीत में लोन चुकाने में अनियमित रहे हैं।



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