हर व्यक्ति के जीवन में घर खरीदना जीवन का सबसे बड़ा सौदा होता है | बैंको ने हमारे इस सपने को संभव तो बना दिया है | लेकिन लोन इस कर्ज को चुकाने में हमारी पूरी जिंदगी निकल जाती है | सामान्ये तोर पर हमें 25 से 30 साल के लिए होम लोन मिलता है, यानि कि हम नौकरी की शुरुआत से लेकर रिटायरमेंट या उसके बाद तक भी हमें क़र्ज़ चुकाना पड़ता है |
बैंको का होमलोन चुकाने का एक तरीका प्रीपेमेंट भी है | लेकिन कई बार यह कदम समझदारी भरा नहीं होता | लेकिन यदि आप अपने होमलोन के प्रीपेमेंट की रणनीति सूझ बुझ के साथ बनाते हैं, तो यह आपके जीवन लिए कई मायनों में लाभदायक हो सकता है |
अपनी सेविंग खत्म करके न करें प्रीपेमेंट:-
बहुत से व्यक्ति होम लोन की क़िस्त के बोझ से बचने के लिए अपनी सेविंग या इमरर्जेंसी फंड का बलिदान कर देते हैं, लेकिन ऐसा करना एक खराब तरीका माना जाता है | बकाया लोन का भुगतान करने के लिए बहुत से व्यक्ति अपने सारे खर्चों को रोककर अपनी सारी इनकम का उपयोग क्र देते है, पर ऐसा करना बहुत ही बुरा विकल्प है | जब आपको आपात स्थिति में पैसो की आवश्यकता होती है, तब आप बड़ी परेशानी में पड़ सकते हैं. पर ये ध्यान रखें कि होमलोन सभी प्रकार के लोन के मुकाबले बहुत ही सस्ता होता है | यदि आप अपनी बचत खत्म करके होमलोन का प्रीपेमेंट करते हैं और आपातकालीन स्थिति में पर्सनल लोन लेते हैं, तो आप ब्याज भुगतान के जाल में और बुरी तरह से उलझ जाएंगे. ऐसे में जब तक आपका आपातकालीन फंड प्रभावित न हो, प्रीपेमेंट के बारे में विचार बिलकुल भी न करें|
लोन लेते समय जान लेना चाहिए प्रोसेसिंग फीस:-
होमलोन के प्रीपेमेंट की एक सामान्य रणनीति ओर है | इसके तहत बैंक आपको कई ऑफर देते हैं जैसे वह आपके मौजूदा लोन को कम रेट पर टेकओवर करते हैं, जो कि आपके लोन की क़िस्त या लोन की समयावधि को कम कर सकते हैं | यह एक बहुत ही अच्छा विकल्प है, जो आपकी बचत पर बिना कोई प्रभाव डाले, लोन पर ब्याज की रकम को भी कम करने में आपकी मदद करता है |
आपको ज्यादा क़िस्त चुकाने से भी हो सकता है नुकसान:-
होम लोन लेने वाले उपभोक्ता इसे एक आसान विकल्प मानते हैं | अपने कॅरियर में आगे बढ़ते हैं, जिससे उन्हें प्रमोशन मिलता है और वेतन में भी वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप उनके पास ज्यादा खर्चयोग्य रकम होती है. नए कपड़े, वाहन और गैजेट पर फालतू खर्च करने से बेहतर है कि आप अपनी ईएमआई को बढ़ाए और लोन को जल्द से जल्द चुकता करें. इस मामलें में, जब आप अपने भुगतान की रफ्तार बढ़ाते हैं, तो आगे नया लोन लेने की आपकी क्षमता प्रभावित होगी. सामान्य तौर पर बैंक लोन जारी करते वक्त आय अनुपात के आधार पर ईएमआई तय करते हैं. ऐसे में जाहिर है कि इस अनुपात सीमा से आप ज्यादा क़िस्त का भुगतान करते हैं तो भविष्य में आपके लिए नए लोन लेने की सीमा सीमित हो जाएगी |
No comments:
Post a Comment